क्या आपका पति भी करता है आपका मानसिक उत्पीड़न? जानिए, ये संकेत जो बताते हैं कि आप हिंसा का शिकार हैं!
आज की महिला पढ़ी-लिखी, आत्मनिर्भर और हर कदम पर अपनी पहचान बना रही है, लेकिन फिर भी वह कहीं ना कहीं जाने-अनजाने में हिंसा का शिकार हो रही है। यह हिंसा सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक, आर्थिक, और भावनात्मक रूप से भी हो सकती है। अक्सर महिलाएं इस हिंसा को पहचान नहीं पातीं और समझ नहीं पातीं कि जो हो रहा है, वह हिंसा है।
आज, 25 नवंबर को मनाया जा रहा अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस हमें यह याद दिलाता है कि महिलाओं पर हिंसा की यह कुप्रथा अब तक खत्म नहीं हुई है। आप क्या जानती हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 3 में से 1 महिला कभी न कभी हिंसा का शिकार हो चुकी है? यह आंकड़ा चौंकाने वाला है, और यह सच है कि बदलते वक्त के बावजूद महिलाओं की स्थिति में बदलाव आना अब तक एक मुश्किल काम रहा है।
क्या हिंसा सिर्फ मारपीट ही होती है?
बहुत से लोग मानते हैं कि हिंसा सिर्फ शारीरिक रूप से होती है, जैसे पीट-पीट कर किसी को घायल कर देना, लेकिन सच्चाई कुछ और है। हिंसा इमोशनली, साइकोलॉजिकल, फाइनेंशियल और सेक्शुअल एब्यूज के रूप में भी हो सकती है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में लगभग 445,256 महिलाएं हिंसा का शिकार हुईं, और यह आंकड़ा हर साल बढ़ रहा है। खासकर घरेलू हिंसा का सामना अधिकतर महिलाएं अपने घरवालों से करती हैं, जिनमें पति और ससुराल वाले शामिल होते हैं।
क्या आपके पति का मजाक उड़ाना मानसिक हिंसा है?
आप शायद यह मानें कि अगर आपका पति आपको गालियाँ नहीं देता, या आपको मारता नहीं है, तो आपको चिंता करने की कोई बात नहीं है, लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि अगर वह आपके सामने आपका मजाक उड़ा रहा है? यह भी एक प्रकार की मानसिक हिंसा है।
बहुत से पतियां अपनी पत्नी का मजाक सार्वजनिक तौर पर उड़ा देते हैं, चाहे वह दोस्तों या रिश्तेदारों के सामने हो। वे उनकी बॉडी शेमिंग करते हैं, या फिर यह कहते हैं कि “वाइफ को कुछ नहीं आता”। यही वह शब्द होते हैं, जो पत्नी को अंदर से तोड़ डालते हैं। पत्नी हंस कर इसे नजरअंदाज कर देती है, लेकिन यह उनकी आत्म-सम्मान को चोट पहुंचाता है।
क्या आपका वित्तीय नियंत्रण एक प्रकार की हिंसा है?
आज के दौर में महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन चुकी हैं, लेकिन क्या आपको लगता है कि घर के खर्चे में आपको पूर्ण नियंत्रण मिल पाता है? कई महिलाएं काम करती हैं, पैसे कमाती हैं, लेकिन उनके पैसे पर कंट्रोल उनके पति के पास होता है। वे अपनी सैलरी पति के पास ट्रांसफर कर देती हैं, और जॉइंट बैंक अकाउंट के नाम पर उनके पैसे का इस्तेमाल किया जाता है। क्या यह आपके साथ भी हो रहा है? अगर हां, तो यह भी एक प्रकार की आर्थिक हिंसा है।
प्यार के नाम पर मानसिक हिंसा
कभी सोचा है, क्या प्यार के नाम पर आपको मानसिक उत्पीड़न हो रहा है? अक्सर पुरुषों का रौब और उनकी गलत बातें महिलाओं को भ्रमित कर देती हैं। महिलाओं को यह समझ में नहीं आता कि उनका पति जो करता है, वह गलत है, क्योंकि वह उन्हें प्यार भी करता है। उन्हें यह लगता है कि अगर वह प्यार करता है तो उसकी गलतियों को नजरअंदाज करना चाहिए। यही “प्यार” कभी-कभी उन्हें मानसिक रूप से तोड़ डालता है, और वे इस घेराबंदी में फंस जाती हैं।
पत्नी का हर बात मानना क्यों?
क्या आप भी अपने पति की हर बात मानने को अपना कर्तव्य समझती हैं? प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वे के अनुसार, 83.8% महिलाओं ने माना कि पति की हर बात मानना चाहिए, चाहे वह सही हो या गलत। और कई बार महिलाओं को यही सिखाया जाता है कि “पति के खिलाफ नहीं बोलना चाहिए”। इसका कारण यह होता है कि वे बचपन से अपने घर में अपनी मां को पिता के हाथों हिंसा का शिकार होते हुए देखती हैं, और यही उनके लिए सामान्य बन जाता है।
क्या किया जाए बदलाव लाने के लिए?
समाज में सुधार की शुरुआत घर से होनी चाहिए। माता-पिता को अपने बेटों और बेटियों को सही-गलत का फर्क समझाना चाहिए। बेटों को यह सिखाना चाहिए कि किसी भी महिला की इज्जत करें, और कभी भी किसी महिला के साथ हिंसा न करें। वहीं, बेटियों को यह समझाना चाहिए कि उनके साथ अगर कोई गलत हो, तो उन्हें उसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए। यह काम सिर्फ परिवार में बदलाव से ही संभव है।
समाज में बदलाव के लिए आपको अपने अधिकारों का ज्ञान होना चाहिए, और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप समझें कि जो हो रहा है, वह हिंसा है। अगर आप इसे पहचानेंगी, तो आप इसके खिलाफ खड़ी हो सकती हैं।
क्या आपने कभी अपने अधिकारों के बारे में सोचा है? अगर नहीं, तो यह समय है खुद को समझने और दुनिया को बताने का कि महिला हिंसा के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए!