कम लागत में बकरी पालन से करोड़ों का मुनाफा: इन 5 बेहतरीन नस्लों से करें शुरुआत!
कोडरमा। खेती-किसानी से जुड़े लोग अब बकरी पालन को एक नए और फायदेमंद विकल्प के रूप में देख रहे हैं। बकरी पालन कम लागत, कम मेहनत और बंपर मुनाफे का एक शानदार जरिया बनता जा रहा है। यदि सही नस्ल की बकरियों का चुनाव किया जाए, तो किसान सालभर में मांस, दूध और बकरियों के बच्चों से अच्छी-खासी आमदनी कमा सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में 20 से अधिक नस्ल की बकरियां पाई जाती हैं, लेकिन इनमें से पांच नस्लें – ब्लैक बंगाल, बारबरी, बीटल, जमुनापरी और सिरोही – सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाली मानी जाती हैं। आइए जानते हैं इन नस्लों के बारे में, जो आपकी किस्मत बदल सकती हैं।
1. ब्लैक बंगाल: हर मौसम में फिट और कमाल का मांस उत्पादन
ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरी को किसानों के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसका काला रंग इसे पहचान देता है, हालांकि कुछ बकरियों में भूरे और सफेद बाल भी पाए जाते हैं। यह नस्ल बेहद छोटी होती है, लेकिन इसका शरीर गठीला होता है। इसका वयस्क नर 18 से 20 किलोग्राम और मादा 15 से 18 किलोग्राम तक वजन का होता है।
ब्लैक बंगाल बकरी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह दो साल में तीन बार बच्चे देती है। हर बार दो से तीन बच्चे होते हैं, जिससे किसान को जल्दी और ज्यादा मुनाफा मिलता है। यह नस्ल मांस उत्पादन के लिए बेहद फायदेमंद है, क्योंकि इसके मांस की गुणवत्ता और मांग बाजार में काफी ज्यादा है।
2. बारबरी: दूध और मांस का बेहतरीन स्रोत
बारबरी नस्ल की बकरियां मूल रूप से अफ्रीका की रहने वाली हैं, लेकिन भारत में यह उत्तर प्रदेश के आगरा और मथुरा जिलों में पाई जाती हैं। यह नस्ल छोटी कद-काठी की होती है और दिखने में हिरण जैसी नजर आती है। बारबरी बकरी मांस और दूध दोनों के लिए उपयुक्त है।
बारबरी बकरी प्रतिदिन 1 लीटर तक दूध देती है। यह भी ब्लैक बंगाल की तरह दो साल में तीन बार बच्चों को जन्म देती है। एक बार में दो से तीन बच्चे होते हैं। वयस्क नर का वजन 35 से 40 किलोग्राम और मादा का वजन 25 से 30 किलोग्राम तक होता है। कम जगह और कम खर्च में यह नस्ल किसानों को बढ़िया मुनाफा दे सकती है।
3. बीटल: बड़े कद और ज्यादा दूध उत्पादन की विशेषज्ञ
बीटल नस्ल की बकरी मुख्य रूप से पंजाब के गुरदासपुर जिले में पाई जाती है। इसका शरीर बड़ा और वजनदार होता है। यह नस्ल दूध और मांस दोनों के लिए जानी जाती है।
बीटल बकरी प्रतिदिन 1-2 लीटर दूध देती है और वयस्क नर का वजन 55-60 किलोग्राम तक होता है। मादा का वजन 45-55 किलोग्राम तक होता है। यह नस्ल कम देखभाल में बेहतर उत्पादन देती है और झारखंड सहित अन्य राज्यों के किसान अब इसे तेजी से अपना रहे हैं।
4. जमुनापरी: लंबी नाक और ज्यादा दूध उत्पादन में अव्वल
जमुनापरी नस्ल की बकरी उत्तर प्रदेश और गंगा-यमुना के तराई क्षेत्रों में पाई जाती है। इसकी लंबी नाक और बेलनाकार शरीर इसे अन्य नस्लों से अलग बनाता है। जमुनापरी बकरी का दूध उत्पादन बेहतरीन होता है।
यह नस्ल प्रतिदिन 2 लीटर तक दूध देती है। वयस्क नर का वजन 70-90 किलोग्राम और मादा का वजन 50-60 किलोग्राम तक हो सकता है। जमुनापरी बकरी का उपयोग अन्य नस्लों के सुधार के लिए भी किया जाता है। इस नस्ल की बकरी एक बार में एक बच्चे को जन्म देती है, लेकिन इसके दूध और मांस की मांग बाजार में काफी ज्यादा होती है।
5. सिरोही: मांस और दूध उत्पादन का भरोसेमंद विकल्प
सिरोही नस्ल की बकरी राजस्थान के सिरोही जिले से संबंधित है। यह नस्ल मांस और दूध दोनों के लिए उपयुक्त है। सिरोही बकरी की पहचान उसके लंबे कान और मुड़ी हुई पूंछ से की जाती है।
सिरोही बकरी एक बार में दो बच्चों को जन्म देती है और इसका दूध और मांस दोनों ही बाजार में अच्छी कीमत पर बिकते हैं। यह नस्ल कम जगह और कम देखभाल में भी बेहतर प्रदर्शन करती है, जिससे छोटे किसान भी इसे पाल सकते हैं।
बकरी पालन: किसानों के लिए आय का नया जरिया
बकरी पालन से किसान न केवल अपनी आय बढ़ा सकते हैं, बल्कि यह उनके लिए एक स्थायी और लाभदायक व्यवसाय साबित हो सकता है। इन पांच नस्लों की बकरियां कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती हैं। दूध, मांस और बकरियों के बच्चों की बिक्री से किसान अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।
यदि आप भी अपनी किसानी में एक नया आय का जरिया जोड़ना चाहते हैं, तो बकरी पालन पर विचार जरूर करें। यह व्यवसाय आपको सालभर में बंपर मुनाफा देने का मौका दे सकता है।