यूपी विधानसभा में हंगामा! अखिलेश यादव के आक्रामक तेवर से मचा बवाल, बाबा साहेब के सम्मान पर गरमा गरमी
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन गुरुवार को सदन में एक बार फिर जबरदस्त हंगामा हुआ। समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों ने सत्र की शुरुआत होते ही बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के अपमान के मुद्दे को लेकर सदन में जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी।
अखिलेश यादव का निर्देश: आक्रामक हो उठे सपा सदस्य
सत्र से पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी विधायकों के साथ बैठक कर रणनीति तैयार की। अखिलेश ने सपा विधायकों को स्पष्ट निर्देश दिया कि वे गृह मंत्री अमित शाह पर बाबासाहेब अंबेडकर के अपमान का आरोप लगाकर इसे सदन में प्रमुखता से उठाएं।
अखिलेश यादव के निर्देश के बाद सपा सदस्य अंबेडकर की तस्वीर लेकर सदन पहुंचे। जैसे ही विधानसभा सत्र शुरू हुआ, सपा के नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने इस मुद्दे को उठाते हुए सदन के बीचों-बीच नारेबाजी शुरू कर दी। उन्होंने कहा, “इस सरकार में बाबासाहेब का अपमान हो रहा है, जो बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
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सदन में गूंजे नारे
सपा विधायकों ने सदन में ‘बाबा साहब का अपमान हम नहीं सहेंगे’ और ‘जय भीम-जय भीम’ के नारों से माहौल गरमा दिया। नेता प्रतिपक्ष और अन्य सपा सदस्यों ने विधानसभा की बेल में आकर बाबासाहेब अंबेडकर की तस्वीर लहराई।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “बाबासाहेब का अपमान कोई नहीं कर सकता। तस्वीर लहराकर राजनीति करना उचित नहीं है।” वहीं, वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि “बीजेपी और एनडीए सरकार में जितना सम्मान बाबासाहेब अंबेडकर का हुआ है, उतना किसी और सरकार में नहीं हुआ।”
हंगामे के बीच पास हुए विधेयक
सपा विधायकों की नारेबाजी और हंगामे के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने प्रश्नकाल शुरू कराया। हालांकि, विपक्ष के सदस्यों ने किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया और नारेबाजी जारी रखी। इस बीच, वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कई विधेयक पेश किए, जिन्हें ध्वनिमत से पारित करवा दिया गया।
प्रयागराज महाकुंभ और अनुपूरक बजट पर चर्चा
हंगामे के बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सदन में आज अनुपूरक बजट और 2025 में आयोजित होने वाले प्रयागराज महाकुंभ पर चर्चा होनी थी। मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर तीन बजे सदन को संबोधित करने का ऐलान किया।
क्या है विवाद का कारण?
विवाद की जड़ गृह मंत्री अमित शाह का वह बयान है, जिसे सपा ने बाबासाहेब अंबेडकर का अपमान बताया। हालांकि, बीजेपी ने इस आरोप को पूरी तरह खारिज करते हुए इसे राजनीतिक स्टंट बताया। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा, “समाजवादी पार्टी बाबा साहब के नाम पर राजनीति कर रही है। बीजेपी सरकार ने अंबेडकर के विचारों को साकार करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।”
सपा का जवाब
अखिलेश यादव ने कहा कि “यह सरकार अंबेडकर के नाम पर दिखावा करती है। असल में यह उनके विचारों के खिलाफ काम कर रही है। हम बाबा साहब के अपमान को बर्दाश्त नहीं करेंगे और विधानसभा के अंदर और बाहर इसके खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।”
विधानसभा का सत्र बना राजनीति का अखाड़ा
चौथे दिन का सत्र हंगामे और नारेबाजी के बीच बीत गया। विपक्ष ने जहां सरकार पर बाबा साहब के अपमान का आरोप लगाया, वहीं सरकार ने इसे विपक्ष की नाकामी और राजनीति का हथकंडा करार दिया।
जनता की नजरें बजट और महाकुंभ पर
सत्र के दौरान पेश किए गए अनुपूरक बजट और प्रयागराज महाकुंभ पर चर्चा जनता के लिए अहम रही। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के आयोजन को लेकर बड़े ऐलान करने का संकेत दिया है।
क्या है सपा की रणनीति?
विशेषज्ञों का मानना है कि सपा इस मुद्दे को लेकर 2024 के चुनावों से पहले दलित और पिछड़ा वर्ग को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है। बाबा साहब अंबेडकर का नाम और उनके विचार हमेशा से राजनीतिक दलों के लिए बड़ा मुद्दा रहे हैं, और सपा इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही।
आगे क्या होगा?
इस हंगामे के बाद, यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा अपनी रणनीति को किस हद तक प्रभावी बना पाती है। वहीं, बीजेपी इस मुद्दे को शांत करने के लिए क्या कदम उठाती है, यह भी अहम रहेगा।
क्या यह विवाद केवल राजनीति है या इसमें कोई ठोस मुद्दा छिपा है? जनता को जवाब का इंतजार है।