क्रेडिट कार्ड बिल पर 50% तक ब्याज! सुप्रीम कोर्ट ने हटाई अपर लिमिट, जानिए क्या है इसका असर
नई दिल्ली: अगर आप क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण हो सकती है। क्या आपने कभी सोचा है कि क्रेडिट कार्ड के बिल का समय पर भुगतान न करने पर आपको कितना बड़ा नुकसान हो सकता है? अब सुप्रीम कोर्ट के एक ताजे फैसले ने क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दर को लेकर एक नई दिशा तय कर दी है, और इससे आपके जेब पर भारी असर पड़ सकता है।
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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें उसने क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दर की अपर लिमिट को समाप्त कर दिया है। पहले जहां क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दर 30% तक सीमित थी, अब सुप्रीम कोर्ट ने इस सीमा को हटाते हुए बैंकों को अधिकतम ब्याज दर तय करने की छूट दे दी है। इसके बाद, अगर आपने समय पर क्रेडिट कार्ड का बिल नहीं भरा, तो आपको 50% तक ब्याज चुकाना पड़ सकता है।
इस फैसले ने क्रेडिट कार्ड धारकों को चौंका दिया है, क्योंकि इससे पहले बैंकों के लिए ब्याज दर को सीमित किया गया था। अब बैंकों को इस बात की छूट मिल गई है कि वे अपने ग्राहकों से कितना ब्याज ले सकते हैं, और यह ब्याज दर 50% तक जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का क्यों पड़ा असर?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि नेशनल कस्टमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) ने क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दर को 30% तक सीमित करने का फैसला गलत किया था। NCDRC ने यह आदेश बैंकों के खिलाफ दिया था, जिसमें बैंकों को यह निर्देश दिया गया था कि वे क्रेडिट कार्ड पर अधिकतम ब्याज दर 30% से अधिक नहीं ले सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि एनसीडीआरसी के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है कि वह बैंकों से लिए जाने वाले ब्याज की अधिकतम सीमा तय कर सके। कोर्ट ने यह माना कि बैंकों और ग्राहकों के बीच यह एक समझौता होता है, और इसलिए बैंकों को इस मामले में स्वतंत्रता दी जानी चाहिए।
क्या था एनसीडीआरसी का निर्णय?
एनसीडीआरसी ने अपने फैसले में यह कहा था कि भारत में क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दर 36% से लेकर 50% तक हो सकती है, जो अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसी देशों से कहीं ज्यादा है। एनसीडीआरसी ने यह सवाल उठाया था कि यदि इन देशों में ब्याज दर 9.99% से 24% तक होती है, तो भारत में इतने ज्यादा ब्याज दर लेने का कोई औचित्य नहीं है।
इस निर्णय का उद्देश्य यह था कि भारत में भी क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दरों को न्यायसंगत और समान बनाया जाए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए बैंकों को ब्याज दर तय करने की स्वतंत्रता दे दी।
भारत में क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दर का क्या असर होगा?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सबसे बड़ा असर उन ग्राहकों पर पड़ेगा जो क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं और समय पर बिल का भुगतान नहीं कर पाते। अब, यदि आपने बिल का समय पर भुगतान नहीं किया, तो बैंकों को ब्याज दर बढ़ाने की छूट मिल गई है, और वह आपको 50% तक ब्याज ले सकते हैं। इससे आपका क्रेडिट कार्ड बिल दोगुना हो सकता है, और आपको अतिरिक्त आर्थिक बोझ उठाना पड़ सकता है।
वहीं, दूसरी ओर, यह फैसला बैंकों के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि उन्हें अब अपनी ब्याज दरों को बढ़ाने की पूरी स्वतंत्रता मिल गई है। इसका मतलब यह हो सकता है कि बैंकों को अपनी आय बढ़ाने का एक नया रास्ता मिल सकता है।
क्या करें क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ता?
इस फैसले के बाद क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ताओं के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे अपने बिल का समय पर भुगतान करें। अगर आप समय पर अपना क्रेडिट कार्ड बिल भरते हैं, तो आप किसी भी प्रकार के अतिरिक्त ब्याज से बच सकते हैं। वहीं, अगर आप समय पर भुगतान नहीं करते, तो आपको भारी ब्याज का सामना करना पड़ सकता है।
इस फैसले के बाद, यदि आप क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं, तो यह सलाह दी जाती है कि आप अपने खर्चों पर नजर रखें और सुनिश्चित करें कि आप हमेशा समय पर बिल का भुगतान करें। ऐसा न करने पर आप 50% तक ब्याज चुकाने के लिए तैयार रहें।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला क्रेडिट कार्ड धारकों के लिए एक चेतावनी है कि अगर वे समय पर बिल का भुगतान नहीं करते, तो उन्हें भारी ब्याज का सामना करना पड़ सकता है। अब बैंकों को ब्याज दर तय करने की पूरी छूट मिल गई है, और यह फैसला उनके लिए फायदेमंद हो सकता है। इसलिए, यदि आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने बिल का समय पर भुगतान करें, ताकि आप इन अतिरिक्त खर्चों से बच सकें।