मोदी सरकार का मास्टरप्लान: क्या आपका जीवन बदलने वाला है? जानिए कहां खर्च हो रहे 11.11 लाख करोड़ रुपये!
नई दिल्ली:
क्या मोदी सरकार का बड़ा बजट सच में आम आदमी की जिंदगी को बेहतर बना रहा है या यह केवल आंकड़ों का खेल है? वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के हालिया बयान ने एक बार फिर बहस को हवा दी है। उन्होंने कहा कि कांस्टीट्यूशनल कैपिटल एक्सपेंडिचर (पूंजीगत खर्च) को बढ़ाकर लोगों की जिंदगी में सुधार लाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन क्या यह वाकई हो रहा है, या इसका असली फायदा कुछ चुनिंदा लोगों को मिल रहा है?
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पूंजीगत खर्च का नया रिकॉर्ड!
मोदी सरकार ने 2021-22 में जहां पूंजीगत खर्च 5 लाख करोड़ रुपये रखा था, वहीं 2024-25 के लिए इसे 11.11 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया गया है। चौधरी ने कहा, “सरकार का ध्यान देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर है, और पिछले 10 वर्षों में सड़क, रेल और हवाई संपर्क में अभूतपूर्व सुधार हुआ है।”
चौधरी के मुताबिक:
- राष्ट्रीय राजमार्गों का नेटवर्क 2014 में 91,287 किलोमीटर था, जो 2024 तक 1.6 गुना बढ़कर 1,46,195 किलोमीटर हो गया।
- भारतमाला परियोजना के तहत 34,800 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण प्रस्तावित है, जिसमें से 26,425 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है।
- 2014 में देश में सिर्फ 74 हवाई अड्डे थे। 2024 तक यह संख्या 158 हवाई अड्डों तक पहुंच गई।
सपना: 2047 तक विकसित भारत
पंकज चौधरी ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है। इसी के तहत पूंजीगत खर्च को बढ़ाया जा रहा है।” उन्होंने दावा किया कि बुनियादी ढांचे में सुधार से देश के लोगों को न केवल रोजगार मिल रहा है, बल्कि उनकी जीवनशैली भी बेहतर हो रही है।
क्या आम आदमी को वाकई फायदा हो रहा है?
सरकार के इन आंकड़ों से एक बात तो साफ है कि बुनियादी ढांचे पर भारी खर्च किया जा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या इसका सीधा असर आम आदमी की जिंदगी पर पड़ रहा है? या यह केवल कुछ बड़े कॉरपोरेट्स और ठेकेदारों के फायदे के लिए है?
चौधरी ने ये भी कहा:
“सड़क, रेल और हवाई नेटवर्क के सुधार से देश में न केवल आर्थिक वृद्धि हो रही है, बल्कि स्थानीय स्तर पर लोगों की सुविधाएं भी बेहतर हुई हैं। अब गांवों तक भी सड़कें पहुंच रही हैं और छोटे कस्बों से हवाई यात्रा करना संभव हो रहा है।”
टैक्स बढ़ाने की तैयारी?
जब उनसे टैक्स बढ़ोतरी पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि कोल्ड ड्रिंक, सिगरेट और शराब पर टैक्स की दर बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। अभी यह दर 28% है, लेकिन इसे 35% तक ले जाने की सिफारिश की गई है। हालांकि, इस पर अंतिम फैसला केंद्रीय परिषद की बैठक में लिया जाएगा।
विरोध और सवाल
विपक्ष और आलोचकों का कहना है कि मोदी सरकार का यह मास्टरप्लान असल में आम आदमी को राहत देने के बजाय उसे और मुश्किल में डाल रहा है। आलोचकों का आरोप है कि भारी पूंजीगत खर्च का बोझ मध्यम वर्ग और गरीबों पर टैक्स के रूप में डाला जा रहा है।
आम आदमी के लिए क्या है मोदी सरकार का असली एजेंडा?
सरकार के दावों और विपक्ष के आरोपों के बीच असल सवाल यह है कि क्या यह पूंजीगत खर्च भारत के हर नागरिक के जीवन को बेहतर बना रहा है? या यह केवल विकास के नाम पर बड़े कॉरपोरेट्स के हितों को साधने की रणनीति है?
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