शोक समाचार: ओम प्रकाश चौटाला का 89 वर्ष की आयु में निधन, हरियाणा की राजनीति में हुआ एक बड़ा शून्य
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय राजनीति के प्रमुख चेहरों में से एक, ओम प्रकाश चौटाला, का आज, 20 दिसंबर 2024 को निधन हो गया। 89 वर्ष की आयु में गुरुग्राम में हृदयाघात से उनका निधन हुआ, जो उनके समर्थकों और पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है। चौटाला को आखिरी बार इस साल अक्टूबर में हरियाणा विधानसभा चुनाव के मतदान के दौरान देखा गया था, जब वह सिरसा के अपने गांव चौटाला में एक मतदान केंद्र पर पहुंचे थे।
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ओम प्रकाश चौटाला: एक महान नेता और परिवार का स्तंभ
ओम प्रकाश चौटाला, जो भारतीय राजनीति में अपनी विशिष्ट पहचान रखते थे, भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल के बेटे थे। उन्होंने हरियाणा के सातवें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और प्रदेश की राजनीति में अपनी एक मजबूत स्थिति बनाई। उनकी लोकप्रियता और प्रभाव हरियाणा के हर कोने में महसूस की जाती थी।
चौटाला का राजनीतिक करियर विवादों से भरा हुआ था, लेकिन उनका व्यक्तित्व और कार्यशैली ने उन्हें हमेशा प्रमुख नेता बना दिया। 1990 में उन्होंने पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्य की राजनीति में अपनी पहचान बनाई और 1996 में इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) पार्टी की स्थापना की। उनका नेतृत्व हरियाणा के विकास के लिए प्रेरणास्त्रोत बना, हालांकि इसके साथ ही वह भ्रष्टाचार और कानूनी मामलों के कारण चर्चा में भी रहे।
आर्थिक भ्रष्टाचार और जेल की सजा
चौटाला की राजनीतिक यात्रा विवादों से भरी रही। उन्हें 16 साल पुराने आय से अधिक संपत्ति के मामले में 2022 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा चार साल की सजा सुनाई गई थी। 87 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली की तिहाड़ जेल में अपनी सजा का सामना किया और वहां सबसे बुजुर्ग कैदी के रूप में पहुंचे। लेकिन 2020 में उन्हें रिहा किया गया, जिससे उनके समर्थकों में एक नई उम्मीद जगी।
पारिवारिक जीवन और उत्तराधिकार
ओम प्रकाश चौटाला के परिवार में उनकी पत्नी स्नेह लता का 2019 में निधन हो गया था। उनके तीन बेटियाँ और दो बेटे हैं, जिनमें अभय सिंह चौटाला और अजय सिंह चौटाला प्रमुख हैं। अभय सिंह चौटाला हरियाणा के एलेनाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और विपक्ष के नेता के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। वहीं उनके पोते दुष्यंत चौटाला, जो जननायक जनता पार्टी के नेता हैं, पहले हरियाणा के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं और हिसार से लोकसभा के सांसद भी रहे हैं।
राजनीति में प्रवेश और संघर्ष
ओम प्रकाश चौटाला का राजनीति में प्रवेश उनके पिता के प्रभाव से हुआ। उनका जन्म हरियाणा के सिरसा जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था और उन्होंने बहुत कम उम्र में ही अपनी शिक्षा छोड़कर राजनीति को अपना लिया था। 1970 में उन्होंने जनता दल (पीपुल्स पार्टी) के सदस्य के रूप में हरियाणा विधानसभा का चुनाव जीता और राजनीति में कदम रखा। इसके बाद उन्होंने कई बार राज्यसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज की और हरियाणा की राजनीति में एक मजबूत नेता के रूप में उभरे।
उनकी राजनीतिक यात्रा में कई संघर्ष भी थे। 1978 में एक बड़ी घटना हुई जब उन्हें दिल्ली हवाई अड्डे पर कलाई घड़ियाँ लाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। यह घटना उनके और उनके पिता के बीच मतभेद का कारण बनी, लेकिन इसके बाद उन्होंने अपनी छवि को फिर से सुधारने की दिशा में कई कदम उठाए।
मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल
ओम प्रकाश चौटाला ने हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में कई बार कार्य किया। 1989 में वह पहली बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन जल्द ही उन्हें पद छोड़ना पड़ा क्योंकि वह छह महीने के भीतर विधानसभा सीट हासिल करने में असमर्थ रहे। हालांकि, उन्होंने बाद में उपचुनाव जीतकर फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 1999 में चौटाला ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद संभाला और इस दौरान उन्होंने हरियाणा के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
उनका निधन: एक युग का अंत
ओम प्रकाश चौटाला का निधन हरियाणा की राजनीति के लिए एक बड़ा झटका है। उनका निधन न केवल उनके परिवार, बल्कि हरियाणा के लाखों समर्थकों के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके योगदान और संघर्षों को हमेशा याद किया जाएगा, और उनकी विरासत हरियाणा की राजनीति में हमेशा बनी रहेगी।
चौटाला का जीवन संघर्ष, सफलता और विवादों से भरा रहा, लेकिन उनका नाम हमेशा हरियाणा के इतिहास में अमर रहेगा।