भारतीय शेयर बाजार: कमजोर शुरुआत, वैश्विक अस्थिरता और एफआईआई की बिकवाली ने बिगाड़ा खेल!
मुंबई: शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर से निराशा का माहौल छाया रहा। वैश्विक बाजारों में अस्थिरता, विदेशी निवेशकों (एफआईआई) की जोरदार बिकवाली और भारतीय रुपये में गिरावट ने बाजार को दबाव में ला दिया। निफ्टी 50 इंडेक्स 23,960.70 अंकों पर मात्र 9 अंकों की मामूली बढ़त के साथ सपाट खुला, जबकि बीएसई सेंसेक्स 0.15% की बढ़त के साथ 79,335.48 अंकों पर खुला। हालांकि, शुरुआती बढ़त जल्द ही फीकी पड़ गई और बाजार लाल निशान की ओर खिसकने लगा।
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अमेरिकी फेड के फैसले से झटका
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के चक्र में अप्रत्याशित कमी ने वैश्विक बाजारों को हिलाकर रख दिया है। इस कदम ने न केवल अमेरिकी बाजार बल्कि भारतीय बाजार की धारणा को भी कमजोर किया है। बैंकिंग और बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा ने कहा, “भारतीय बाजार वैश्विक ‘जोखिम से दूर’ की भावना से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, एफपीआई (फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स) की बिकवाली ने इन प्रयासों को झटका दिया है।”
बग्गा ने यह भी जोड़ा, “हम साल के अंत में एक छोटी सी तेजी की उम्मीद कर सकते हैं, लेकिन मौजूदा अस्थिरता के कारण यह तेजी फिलहाल कमजोर नजर आ रही है। वैश्विक बाजारों में फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल को ‘ग्रिंच’ के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने इस साल ‘क्रिसमस’ (बाजार में तेजी) छीन ली है।”
भारतीय बाजार की चाल पर क्या पड़ा असर?
शुक्रवार को बाजार में क्षेत्रीय सूचकांकों की ओर नजर डालें तो निफ्टी आईटी, निफ्टी मीडिया और निफ्टी फार्मा में कुछ सुधार देखा गया। इसके बावजूद, बाकी सूचकांकों में गिरावट का रुख जारी रहा। निफ्टी 50 के 50 शेयरों में से 13 ने बढ़त दर्ज की, जबकि 37 शेयर लाल निशान में बंद हुए। एक्सिस सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख अक्षय चिंचलकर ने बाजार के तकनीकी दृष्टिकोण पर रोशनी डालते हुए कहा, “निफ्टी का 23870 का स्तर एक महत्वपूर्ण समर्थन क्षेत्र है। यहां 61.8% फिबोनाची रिट्रेसमेंट और 200-दिवसीय मूविंग एवरेज मिलते हैं। आरएसआई (रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स) तीन-दिवसीय गति में 10 से कम हो गया है, जो पिछले अनुभवों के आधार पर डाउनट्रेंड के रुकने या छोटी अवधि की तेजी का संकेत देता है।”
एफपीआई की बिकवाली ने बढ़ाई मुसीबत
एफपीआई की लगातार बिकवाली ने भारतीय बाजार को अतिरिक्त दबाव में डाल दिया है। केवल दिसंबर के महीने में अब तक एफपीआई ने हजारों करोड़ रुपये की निकासी की है। इसका सीधा असर ब्लू-चिप और मिड-कैप स्टॉक्स पर पड़ा है। बग्गा के अनुसार, “वैश्विक फंड मैनेजर वार्षिक छुट्टियों पर जा रहे हैं, और इस दौरान बाजार अति आशावादी या केंद्रित विचारधारा के झटके झेल रहा है।”
अन्य एशियाई बाजारों में भी सुस्ती
भारत के अलावा अन्य एशियाई बाजारों में भी शुक्रवार को कमजोरी नजर आई। जापान का निक्केई 225 स्थिर रहा, क्योंकि वहां के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में वृद्धि नहीं की। वहीं, ताइवान, दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया के बाजार लाल निशान में कारोबार करते देखे गए। इन बाजारों में बिकवाली का दबाव भारतीय बाजारों पर भी असर डाल रहा है।
क्या उम्मीद की जा सकती है?
विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा माहौल में बाजार से किसी बड़ी तेजी की उम्मीद करना जल्दबाजी होगी। हालांकि, साल के अंत में कुछ सुधार देखने को मिल सकता है, जब वैश्विक फंड मैनेजर वापस सक्रिय होंगे और भारतीय बाजार को आकर्षक मानकर निवेश करेंगे।
चिंचलकर ने यह भी कहा कि “भारतीय बाजारों को अभी धैर्य रखना होगा। वर्तमान अस्थिरता के बावजूद, लंबे समय में निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिल सकता है, बशर्ते वे इस कठिन समय में सही रणनीति अपनाएं।”
निवेशकों के लिए सुझाव
- लॉन्ग-टर्म सोचें: अस्थिरता के दौर में घबराने की बजाय लंबे समय के लिए निवेश करें।
- गुणवत्ता वाले स्टॉक्स चुनें: मजबूत बुनियादी तत्वों वाले स्टॉक्स में निवेश पर जोर दें।
- तकनीकी स्तरों पर नजर रखें: निफ्टी का 23870 का स्तर और सेंसेक्स में 200-दिवसीय मूविंग एवरेज महत्वपूर्ण हैं।
भारतीय शेयर बाजार वर्तमान में दबाव में है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण अभी भी सकारात्मक है। विशेषज्ञों का मानना है कि नए साल में बाजार में स्थिरता और सुधार के संकेत मिल सकते हैं। फिलहाल, निवेशकों को सतर्कता और धैर्य के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है।