राहुल गांधी की हाथरस यात्रा: पीड़ित परिवार की दर्दनाक कहानी जिसने उन्हें झकझोर कर रख दिया!
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को 2020 के हाथरस गैंगरेप कांड की पीड़िता के परिवार से मुलाकात की। यह मामला 19 वर्षीय दलित लड़की से जुड़े उस अमानवीय घटना का है, जिसने पूरे देश को हिला दिया था। राहुल गांधी ने इस मुलाकात के दौरान जो सुना, उसने उन्हें अंदर तक झकझोर कर रख दिया। उन्होंने इस मुलाकात को लेकर भाजपा सरकार पर भी गंभीर आरोप लगाए।
राहुल गांधी सुबह करीब 11:15 बजे हाथरस के बूलगढ़ी गांव पहुंचे। पीड़ित परिवार के साथ 35 मिनट बिताने के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत नहीं की, लेकिन बाद में सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा किए। राहुल गांधी ने कहा, “जो बातें पीड़ित परिवार ने मुझसे साझा कीं, उन्होंने मुझे भीतर तक हिला दिया। पूरा परिवार आज भी डर के साए में जी रहा है। उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। यह भाजपा सरकार की दलितों के प्रति सच्चाई को उजागर करता है।
यह भी पढ़ें: दिल्ली में प्रदूषण पर बड़ी राहत! GRAP-4 हटाकर GRAP-2 लागू, जानें अब क्या है अनुमति और क्या रहेगा बैन!
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि हाथरस गैंगरेप पीड़ित परिवार के साथ वादे तो किए गए, लेकिन उन्हें कभी पूरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा, “न तो परिवार को सरकारी नौकरी दी गई, न ही उन्हें कहीं और बसाने का वादा पूरा हुआ। इसके विपरीत, पीड़ित परिवार को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। उनकी हर गतिविधि पर बंदूकों और कैमरों की नजर है।”
राहुल गांधी ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार अपराधियों को बचाने में लगी है और पीड़ित परिवार को न्याय देने के बजाय उनकी स्वतंत्रता छीन ली गई है। “इस परिवार की पीड़ा भाजपा की दलितों के प्रति अमानवीय सोच को दर्शाती है। लेकिन कांग्रेस पार्टी चुप नहीं बैठेगी। हम उन्हें न्याय दिलाने के लिए पूरी ताकत से लड़ेंगे।”
आज हाथरस जाकर 4 साल पहले हुई शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण घटना के पीड़ित परिवार से मिला। मुलाक़ात के दौरान उन्होंने जो बातें बताई उसने मुझे झकझोर कर रख दिया।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 12, 2024
पूरा परिवार आज भी डर के साए में जी रहा है। उनके साथ क्रिमिनल्स के जैसा व्यवहार किया जा रहा है। वे स्वतंत्र रूप से कहीं आ-जा… pic.twitter.com/nGJZqBUnus
2020 का हाथरस गैंगरेप मामला
हाथरस कांड की शुरुआत 14 सितंबर 2020 को हुई, जब चार उच्च जाति के पुरुषों पर एक 19 वर्षीय दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार का आरोप लगा। पीड़िता ने 29 सितंबर 2020 को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह थी कि स्थानीय पुलिस ने 30 सितंबर को रातोंरात लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया।
परिवार ने आरोप लगाया कि उन्हें अंतिम संस्कार के दौरान घर में बंद कर दिया गया था और उनकी अनुमति के बिना यह सब किया गया। पुलिस ने दावा किया कि यह “परिवार की सहमति” से हुआ था, लेकिन इस घटना ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया।
न्याय की मांग
इस मामले ने देश भर में आक्रोश और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। न्याय की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। हालांकि, जांच और कानूनी प्रक्रिया के बाद 2 मार्च 2023 को उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने इस मामले में चार आरोपियों में से तीन को रिहा कर दिया। केवल एक आरोपी को दोषी ठहराया गया।
इस फैसले ने एक बार फिर देश को सवालों के घेरे में डाल दिया। कई लोगों ने इसे न्याय व्यवस्था की विफलता करार दिया और आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया।
राहुल गांधी की लड़ाई
राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि वह इस मामले को नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक परिवार की लड़ाई नहीं है, बल्कि पूरे देश की लड़ाई है। भाजपा सरकार दलितों के अधिकारों को दबाने की कोशिश कर रही है, लेकिन हम यह होने नहीं देंगे। पीड़ित परिवार को न्याय दिलाना हमारी प्राथमिकता है।”
न्याय के लिए राहुल गांधी का वादा
राहुल गांधी ने पीड़ित परिवार से यह वादा किया कि वह हर संभव तरीके से उनका समर्थन करेंगे। कांग्रेस पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि उनकी आवाज दबाई न जाए और उन्हें न्याय मिले।
यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारा समाज और सरकार जाति, लिंग और आर्थिक स्थिति के आधार पर न्याय को कैसे प्रभावित करते हैं। राहुल गांधी का यह कदम न केवल दलितों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है।
यह कहानी देश को याद दिलाती है कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह अन्याय के खिलाफ आवाज उठाए।