1985 की फिल्म में वायरल क्लिप ने मचाया धमाल: क्या भारत ने पहले ही खोज ली थी ‘AI जैसी तकनीक’? इंटरनेट ने कहा- ‘दादू ने सैंड पेपर से CGI बनाई!’
आज के दौर में जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और विजुअल इफेक्ट्स (VFX) ने सिनेमा की दुनिया को बदल कर रख दिया है, एक 1985 की फिल्म की क्लिप ने साबित कर दिया कि भारतीय सिनेमा दशकों पहले ही इन क्षेत्रों में क्रांतिकारी कदम उठा चुका था। ‘ज़ुल्म का बदला’ फिल्म की इस अनोखी क्लिप ने इंटरनेट पर तहलका मचा दिया है, जिसमें एक सीन के दौरान एक तस्वीर चमत्कारी रूप से बदलती दिखाई देती है। इस क्लिप ने सोशल मीडिया यूजर्स को न केवल हैरान किया है, बल्कि भारतीय सिनेमा की क्रिएटिविटी पर गर्व भी महसूस कराया है।
यह भी पढ़ें: शादी के रिसेप्शन में ‘मिर्ची का हलवा’ ने मचाई खलबली, मेहमान हुए हैरान! देखें वायरल वीडियो
क्लिप का वायरल होना और कहानी का मोड़
इस वायरल क्लिप में अभिनेता राकेश रोशन और जगदीश राज एक सस्पेंस भरे सीन में दिखाई देते हैं। डीआईजी वर्मा (जगदीश राज) एक तस्वीर को साधारण कपड़े से रगड़ते हैं, और वो तस्वीर तुरंत बदल जाती है। यह सीन कहानी में एक बड़ा ट्विस्ट लेकर आता है, जिसमें पता चलता है कि अनीता राज का किरदार गीता वर्मा दरअसल मिसेज डी’सा के नाम से भी जानी जाती है।
इस सीन को देखकर सोशल मीडिया उपयोगकर्ता न केवल प्रभावित हुए, बल्कि इसे 1980 के दशक की तकनीकी कल्पनाशक्ति का अद्भुत नमूना भी बताया।
भारतीय सिनेमा की तकनीकी चतुराई
‘ज़ुल्म का बदला’ के इस सीन ने दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि 1985 में ऐसा दृश्य आखिर बनाया कैसे गया होगा। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसे भारतीय सिनेमा की तकनीकी समझ और रचनात्मकता का बेहतरीन उदाहरण बताया। जहां आज के दौर में AI और हाई-एंड सॉफ़्टवेयर विजुअल इफेक्ट्स के लिए उपयोग होते हैं, इस क्लिप ने दिखाया कि 80 के दशक में भी भारतीय फिल्म निर्माता तकनीक को चतुराई से इस्तेमाल कर रहे थे।
सोशल मीडिया पर मजेदार प्रतिक्रियाएं
क्लिप को इंस्टाग्राम पर शेयर करते हुए एक पेज ने इसे कैप्शन दिया, “उन दिनों का फ़ोटोशॉप।” इसके बाद, कमेंट सेक्शन में मजेदार प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई।
- “पीसी और सॉफ़्टवेयर की ज़रूरत ही नहीं। बस एक सूती कपड़ा चाहिए!”
- “दादू ने इस काम के लिए सैंड पेपर इस्तेमाल किया होगा।”
- “पोज़ कैसे बदल गया? ये तो चमत्कार है!”
- “यह तकनीक हिंदुस्तान से बाहर नहीं जानी चाहिए!”
कुछ लोगों ने इसे फिल्म निर्माताओं का “फ़िल्मी ट्रिक” बताया, जबकि अन्य ने इसे CGI और AI के शुरुआती स्वरूप के रूप में देखा।
फिल्म की कहानी और सीन का महत्व
के. प्रसाद द्वारा निर्देशित, ‘ज़ुल्म का बदला’ की कहानी एक परिवार और उनके रिश्तों के इर्द-गिर्द घूमती है। डीआईजी वर्मा अपने दिवंगत दोस्त की बेटी गीता को गोद लेते हैं, जो बाद में उनके बेटे अनिल से शादी करती है। लेकिन जब अनिल की हत्या हो जाती है, तो कहानी एक सस्पेंस थ्रिलर बन जाती है।
इस खास सीन में, तस्वीर के बदलने का दृश्य न केवल कहानी का बड़ा मोड़ है, बल्कि फिल्म निर्माताओं की तकनीकी चतुराई का उदाहरण भी है।
फिल्म के सितारे और 80 के दशक का जादू
1985 में रिलीज़ हुई इस फिल्म में राकेश रोशन, अनीता राज, डैनी डेन्जोंगपा, शक्ति कपूर, और जगदीप जैसे दिग्गज कलाकारों ने काम किया। उस दौर की फिल्मों में तकनीक की सीमाओं के बावजूद, ‘ज़ुल्म का बदला’ जैसे सीन दर्शाते हैं कि रचनात्मकता और नवाचार के लिए सीमाएं मायने नहीं रखतीं।
क्या भारतीय सिनेमा ने किया था AI का शुरुआती इस्तेमाल?
आज की तकनीक को देखकर यह मानना मुश्किल है कि 1980 के दशक में भी ऐसा कुछ संभव था। लेकिन यह क्लिप दर्शाती है कि भारतीय सिनेमा ने हमेशा रचनात्मकता और तकनीकी चतुराई से खुद को आगे रखा है।
AI और CGI को मात देता भारतीय जुगाड़
‘ज़ुल्म का बदला’ का यह सीन इंटरनेट पर चर्चा का विषय बना हुआ है। यह न केवल भारतीय सिनेमा की रचनात्मकता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि हमारी फिल्म इंडस्ट्री ने सीमित संसाधनों के बावजूद ऐसे जादुई दृश्य बनाने में महारत हासिल की थी।
यह वायरल क्लिप आज के दर्शकों के लिए एक प्रेरणा है, जो यह दिखाती है कि तकनीक के बिना भी सिनेमा कैसे अविस्मरणीय बनाया जा सकता है। शायद यही वजह है कि लोग आज भी कहते हैं, “AI को टक्कर देना हो, तो भारतीय जुगाड़ को देखो!