महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा मोड़: एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री बनने को तैयार, लेकिन अहम विभागों पर अभी भी सस्पेंस जारी!
महाराष्ट्र की राजनीतिक उठापटक में अब एक नया मोड़ आ गया है। सूत्रों के अनुसार, शिवसेना नेता और राज्य के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आखिरकार उपमुख्यमंत्री पद संभालने पर सहमति दे दी है। हालांकि, सत्ता के दो प्रमुख विभागों को लेकर अभी भी खींचतान जारी है।
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महायुति में तकरार और सुलह का नया अध्याय
महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन—जिसमें शिवसेना, एनसीपी का अजित पवार गुट और बीजेपी शामिल हैं—ने पिछले साल से सरकार चलाई है। अब नई सरकार के गठन के लिए चल रही बातचीत में शीर्ष पदों और विभागों को लेकर असहमति ने खलबली मचा दी थी।
सूत्रों के अनुसार, महायुति में मुख्यमंत्री पद बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस को मिल सकता है। वहीं, शिंदे और अजित पवार गुट के लिए उपमुख्यमंत्री पद तय किए गए हैं। मंगलवार शाम, मुंबई स्थित ‘वर्षा’ बंगले पर फडणवीस और शिंदे की मुलाकात हुई, जिसमें सुलह का एक बड़ा कदम उठाया गया।
शिंदे की ‘बीमारी’ या रणनीति?
पिछले हफ्ते एकनाथ शिंदे की अचानक स्वास्थ्य बिगड़ने की खबरों ने कई सवाल खड़े कर दिए। दिल्ली में भाजपा नेतृत्व के साथ अहम बातचीत के बाद शिंदे ने सतारा का अनियोजित दौरा किया। इससे महायुति की एक महत्वपूर्ण बैठक टल गई, जो सत्ता-साझाकरण के फार्मूले को अंतिम रूप देने के लिए रखी गई थी।
इससे अटकलें लगने लगीं कि शिंदे मुख्यमंत्री पद के लिए दबाव बना रहे हैं। लेकिन, शिवसेना नेता भरतशेत गोगावाले ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा,
“शिंदे जी केवल खराब स्वास्थ्य के कारण बैठक में नहीं आए। उन्होंने मोदी जी और अमित शाह के साथ बैठक की थी, और वह किसी भी विभाग को लेकर जिद पर नहीं हैं।”
सत्ता के केंद्र में दो बड़े विभाग
हालांकि, शीर्ष पद पर सहमति बनने के बावजूद, वित्त और गृह विभाग को लेकर खींचतान जारी है। यह दोनों विभाग न केवल सरकार की नीतियों को दिशा देते हैं, बल्कि सत्ता के असली केंद्र माने जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि अजित पवार गुट वित्त मंत्रालय पर दावा कर रहा है, जबकि बीजेपी और शिवसेना दोनों इसे अपने पाले में रखना चाहती हैं।
गृह विभाग को लेकर भी ऐसा ही गतिरोध है। यह मंत्रालय महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अहम भूमिका निभाता है, और इसे बीजेपी अपने पास रखना चाहती है।
फडणवीस की भूमिका और शक्ति संतुलन
महायुति में मुख्यमंत्री पद को लेकर देवेंद्र फडणवीस की संभावित वापसी ने गठबंधन में नई ऊर्जा लाई है। लेकिन, यह भी साफ है कि फडणवीस को शिंदे और अजित पवार गुट के बीच संतुलन बनाना होगा।
सूत्र बताते हैं कि फडणवीस और शिंदे की मंगलवार को हुई बैठक में यह तय हुआ कि शिंदे उपमुख्यमंत्री पद स्वीकार करेंगे। इस निर्णय के पीछे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का महत्वपूर्ण योगदान माना जा रहा है।
आगे की राह: क्या होगा सत्ता-साझाकरण का फार्मूला?
महायुति में सत्ता के प्रमुख विभागों को लेकर तकरार जारी है। लेकिन राजनीतिक जानकार मानते हैं कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप से यह गतिरोध जल्द ही खत्म हो सकता है।
एकनाथ शिंदे ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा था कि,
“मैं भाजपा के निर्णय को स्वीकार करूंगा और सरकार गठन में बाधा नहीं बनने दूंगा।”
यह बयान शिंदे के लचीले रुख को दर्शाता है, लेकिन यह भी संकेत देता है कि शिवसेना को संतुष्ट करना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा।
फैंस और राजनीतिक पर्यवेक्षकों की नजर
महाराष्ट्र की राजनीति के इस दिलचस्प मोड़ ने जनता और राजनीतिक विश्लेषकों का ध्यान खींचा है। जहां एक ओर शिंदे के उपमुख्यमंत्री बनने की खबर सुर्खियां बटोर रही है, वहीं दूसरी ओर गृह और वित्त मंत्रालय पर जारी सस्पेंस ने इसे और पेचीदा बना दिया है।
क्या महायुति की यह नई सरकार स्थिरता ला पाएगी? क्या शिंदे और अजित पवार के बीच सत्ता का संतुलन सही तरीके से बन पाएगा? और सबसे अहम, क्या यह सरकार महाराष्ट्र के लोगों की उम्मीदों पर खरी उतरेगी?
अगले कुछ दिन महाराष्ट्र की राजनीति के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं।